Table of Contents
निर्देशन एक व्यापक प्रक्रिया है परन्तु परामर्श इसका महत्त्वपूर्ण अंग है। परामर्श के बिना निर्देशन का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। जिस किसी स्थल पर अध्यापक एवं छात्र ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एकत्र होते हैं, वहीं पर कछ समस्याएँ जन्म लेने लगती है तथा उनके निदान की भी व्यवस्था हाने लगती है। छात्र अपनी समस्याएँ अध्यापकों के सम्मख प्रस्तत करते है आर अध्यापक उन्हें आवश्यकतानुसार सुझाव देते हैं। किशोरकाल में छात्रों को इस प्रकार के सुझावों का विशेष आवश्यकता होती है। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रत्येक अध्यापक अपने छात्रों को किसी-न-किसी रूप में परामर्श देता रहता है। परन्तु वर्तमान समाज आर्थिक, सामाजिक तथा नैतिक क्षेत्रों में अत्यन्त जटिल हो गया है। अतः अध्यापक छात्रों को उचित प्रकार से परामर्श नहीं दे पाता। इस कारण ही प्रशिक्षित परामर्शदाताओं की आवश्यकता पड़ती है।
परामर्श शब्द दो व्यक्तियों से सम्बन्ध रखता है- परामर्शदाता (Counselor) तथा परामर्श प्रार्थी (Client) या परामर्श चाहने वाला। परामर्श चाहने वाले की कुछ समस्याएँ होती हैं जिनका वह अकेला बिना किसी की राय या सुझाव के समाधान नहीं कर सकता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए उसे वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है और यह वैज्ञानिक राय या सुझाव ही परामर्श कहलाते हैं, जो कि परामर्शदाता द्वारा दिये जाते हैं। अन्य शब्दों में परामर्शदाता परामर्श चाहने वाले व्यक्ति की समस्या या कठिनाई को समझने का प्रयास करता है तथा उससे विचारों का आदान-प्रदान करके उसकी समस्या का समाधान करने में सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार की सहायता ही परामर्श कहलाती है। विभिन्न विद्वानों ने परामर्श की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं-
1. “पूछताछ, पारस्परिक तर्क-वितर्क या विचारों का पारस्परिक आदान-प्रदान ही परामर्श कहलाता है।
-वेबस्टर शब्दकोश
“Counseling is mutual interchange of opinion or deliberating together.”
2. “बुनियादी तौर पर परामर्श के अन्तर्गत व्यक्ति को समझाना और उसके साथ कार्य करना होता है जिससे उसकी अनन्य आवश्यकताओं, अभिप्रेरणाओं और क्षमताओं की जानकारी हो और फिर उसे इसके महत्त्व को जानने में सहायता दी जाये।”
-बरनार्ड तथा फुलमर
“Basically, Counseling involves understanding and working with the individual or discover his unique needs, motivations and potentialities and help him appreciate them.”
परामर्श के अत्यन्त व्यापक उद्देश्य हैं। आगे हम प्रमुख उद्देश्यों पर ही प्रकाश डालेंगे-
(1) रूथ स्ट्रैग (Ruth Strang) के अनुसार, “परामर्श का उद्देश्य आत्म-परिचय या आत्म-बोध है।”
(2) रोलो मे (Rollo May) के मत में, “परामर्श का उद्देश्य प्रार्थी (परामर्श लेने वाला) को सामाजिक दायित्वों को स्वीकार करने में सहायता देना तथा उसे साहस देना, जिससे उसमें हीन भावना का उदय न हो।”
(3) उन्समूर (Dunsmoor) के अनुसार, “परामर्श का उद्देश्य है छात्र को अपनी कठिनाइयो। को हल करने की योजना बनाने में सहायता देना।”
(4) रॉबर्ट्स (Robers) के मत में, “परामर्श का उद्देश्य परामर्श लेने वाले को अपनी शैक्षिक व्यावसायिक और वैयक्तिक समस्याओं को समझने में सहायता देना है।”
See also मूल्यांकन प्रक्रिया के सोपान, प्रविधियाँ, उपयोगिता एवं महत्त्व | Steps of Evaluation Process in Hindi
(5) हार्डी (Hardee) के अनुसार, “व्यक्ति को अपने से सम्बन्धित विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता देना।”
(6) जे. पी. अग्रवाल के शब्दों में “परामर्श का उद्देश्य है छात्र को अपनी विशिष्ट योग्यताओं और उचित दृष्टिकोणों का विकास करने में सहायता देना।”
(7) छात्र के विषय में वे सूचनाएँ प्राप्त करना, जो उसकी समस्याओं के समाधान में सहायक हों।
(8) छात्र को अपनी योग्यताओं, रुचियों, झुकावों तथा कुशलताओं को समझकर अपने को अधिक अच्छी तरह जानने में सहायता करना।
(9) शैक्षिक प्रगति के लिए समुचित प्रयास करने की प्रेरणा देना।
(10) छात्रों को अपनी समस्याओं का समाधान करने में इस प्रकार सहायता प्रदान करना कि उनमें बिना किसी की सहायता लिए समस्याओं का समाधान करने की योग्यता का विकास हो जाये।
परामर्श देना कोई सामान्य कार्य नहीं है। इसके लिए कुछ सिद्धान्तों को अपनाना आवश्यक हो जाता है। कुप्पूस्वामी ने परामर्श के सिद्धान्तों को चार भागों में विभाजित किया है-
(1) परामर्श प्रदान करने का स्थान।
(2) परामर्श प्रदान करने की अवधि।
(3) परामर्शदाता का आचरण।
(4) परामर्शदाता का उत्तरदायित्व या कर्त्तव्य।
उपर्युक्त सिद्धान्तों को ध्यान में रखकर परामर्श के विषय में निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए-
(1) परामर्श यथासम्भव शान्त और एकान्तपूर्ण स्थान पर ही दिया जाये।
(2) परामर्श कक्ष में आवश्यकता से अधिक फर्नीचर न हो।
(3) कक्ष का वातावरण परामर्शदाता तथा परामर्शप्रार्थी दोनों को शान्ति और सविधा प्रदान करने वाला हो।
(4) जिस समय परामर्श प्रक्रिया चल रही हो उस समय कक्ष में कोई भी अन्य व्यक्ति प्रवेश न करे।
(5) परामर्श की अवधि 30 या 40 मिनट से अधिक न हो।
(6) विशेष परिस्थिति में अवधि को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
(7) परामर्शदाता को परामर्शप्रार्थी द्वारा बतायी बातों को किसी को नहीं बताना चाहिए।
(8) परामर्शदाता को परामर्शप्रार्थी का यथासम्भव विश्वास प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
(9) परामर्श प्रदान करने में शीघ्रता न की जाये।
(10) परामर्शदाता को परामर्शप्रार्थी से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।
(11) परामर्शदाता को अपने व्यवहार में नम्रता तथा सहानुभूति रखनी चाहिए।
(12) परामर्शदाता का कर्तव्य है कि वह परामर्शप्रार्थी की प्रत्येक बात को शान्ति और धैर्यपूर्वक सुने।
परामर्श की आवश्यकता के विषय में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने विचार प्रकट किये है, आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है जिनमें हार्डी और क्रो एवं क्रो के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। इन विद्वानों के अनुसार परामर्श की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-
(1) छात्रों को अपना अधिकतम विकास करने में सहायता देने के लिए परामर्श आवश्यक होता है।
(2) छात्रों की वर्तमान समस्याओं के हल में सहायता देने के लिए।
(3) छात्रों को वांछित या आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करने में सहायता देने के लिए।
(4) विशेष योग्यताओं तथा सही दृष्टिकोण को प्रोत्साहित एवं विकसित करने के लिए।
(5) शैक्षिक एवं व्यावसायिक चयन की योजना बनाने में छात्र की सहायता करने के लिए।
(6) छात्रों को अपने पारिवारिक उत्तरदायित्व को समझने में सहायता देना।
(7) छात्रों को इस प्रकार की सहायता देना कि वे स्वयं अपना मूल्यांकन कर सकें।
(8) छात्र को अपनी शिक्षा से अधिकतम लाभ उठाने की क्षमता प्रदान करने के लिए।
(9) छात्रों को इस प्रकार की सहायता देना कि वे अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से समझ सकें।
See also बुनियादी शिक्षण प्रतिमान (A Basic Teaching Model) | ग्लेसर का बुनियादी शिक्षण प्रतिमान(10) छात्रों को अन्य व्यक्तियों से वैयक्तिक और व्यावसायिक समायोजन करने में सहायता प्रदान करना।
(11) छात्रों को सामाजिक और संवेगात्मक सामंजस्य स्थापित करने में सहायता देने के लिए।
(12) छात्रों को एक श्रेष्ठ समुदाय का सदस्य बनने का परामर्श देना।
परामर्श के अनेक प्रकार हैं। यहाँ परामर्श के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख किया जा रहा है-
Disclaimer -- Hindiguider.com does not own this book, PDF Materials, Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet or created by HindiGuider.com. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: 24Hindiguider@gmail.com
September 11, 2022
September 23, 2022